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कठफोड़वा; वुडपैकर (Woodpecker)

विश्व में कठफोड़वा (वुडपैकर) की 210 जातियां (species) है। सिवाय ऑस्ट्रेलिया के यह हर देश में पाया जाता है। इसका गण हाइसीफोमिस और परिवार पाइसीडी हैं। यहाँ भारतीय रूफस वुडपैकर (rufous woodpecker) का विवरण दिया जा रहा है। 
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  • यह पक्षी भारत में सभी जगह, जंगलों, मैदानों तथा पर्वतों में 5000 फुट की ऊँचाई तक पाया जाता है। इसका रंग लाल-भूरा बादामी होता है। पँख तथा दुम में काली तिरछी धारियां होती हैं। नर को उसकी आँख के नीचे चन्द्राकार गहरे लाल रंग के परो से पहचाना जा सकता है। इसके अतिरिक्त नर-मादा में कोई विशेष अंतर नहीं होता। रंग के आधार पर इनकी पांच जातियाँ हैं। 

  • यह पेड़ों के तनों तथा डाली पर सर्पिलाकार तरीके से चढ़ सकता है और सीधे तने पर आसानी से टिका रहता है क्योंकि यह अपनी दुम के तने से सटा लेता है। इसकी एक विशेषता उल्टा चलना भी है। इसकी बोली सामान्य मैना से मिलती-जुलती होती है।  

  • इसका मुख्य भोजन वृक्षवासी चींटियां, उनके अण्डे तथा प्यूपा है। चींटियों के अतिरिक्त यह बरगद आदि वृक्षों की अंजीर और फूलों का मधुरम भी खाता है। यह बहुत आसानी से छाल तथा गली लकडी को अपनी चोंच से उखाड़ कर कीडे निकाल कर खा जाता है। इसी विशेषता के कारण इसका नाम ‛कठफोडवा’ पडा है। 

  • 'गिनस बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' के अनुसार अमेरिका में हाल में जो वैज्ञानिक प्रयोग किए गए है, उनमे पता चलता है कि लाल सिर वाला कठफोड़वा इतने जोर से पेड़ की छाल पर चोंच मारता है कि टक्कर का वेग (Impact velocity) 13 मील प्रति घंटा (20.9 km/h) होती है। टक्कर के कारण सिर जिस तेजी से विराम की स्थिति में आता है, उसके कारण मस्तिष्क पर मदन (deceleration) का मान लगभग 10g होता हैं। 

  • यह अपना घोंसला क्रीमेटीगेस्टर वृक्षवासी चींटियों के घर में छेद करके बना लेता हैं। यानी एक घर मे दो घर, और आश्चर्य की बात यह है कि नर-मादा, अंडे और बच्चों को चींटियों से बिल्कुल कोई नुकसान नहीं होता। यह भी चीटियों को परेशान नही करते। मिल-जुल कर रहने का यह एक अच्छा उदाहरण है। 

  • इनके अण्डे सेने की अवधि अन्य पक्षियों की अपेक्षा कम होती है। चित्तीदार बड़ें कठफोड़वों और काली चोंच वाली कोयल ही ऐसे हैं, जिनकी अण्डे सेने की सबसे कम अवधि 10 दिन है। 

  • इनकी नीड-ऋतु (Breeding season) प्रायः फरवरी से अप्रैल तक होती है। अण्डे दो या तीन होते है। बच्चों के पालन पोषण मे नर-मादा दोनों का सहयोग होता है। 

  • इसके अतिरिक्त भारतीय वुडपैकरों में गोल्डन बेक्ड वुडपैकर तथा यलो क्राउन वुडपैकर मुख्य हैं। 

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