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शब्दावली अर्थात ग्लॉसरी (Glossary)

कोशिका जीव विज्ञान (Cell Biology) 


अक्रिय (Inert) : रासायनिक मूलकों से क्रिया नहीं करने वाला पदार्थ अक्रिय कहलाता है। उदाहरण- मोम। 

अगुणित (Haploid)
: वह कोशिकाएं अथवा संरचनाएं जिनमें द्विगुणित-जीवों के गुणसूत्रों की मूल संख्या की आधी संख्या में गुणसूत्र उपस्थित होते हैं। उदाहरणार्थ- गेमेट्स अथवा जनन कोशिकाएं ।

प्रकाशिक अभिक्रिया (Dark reaction) : इस अभिक्रिया में ATP व NADPH2 में निहित ऊर्जा से प्रकाश की अनुपस्थिति में भी कार्बन-डाइऑक्साइड का अपचयन कार्बोहाइड्रेट्स में हो जाता है इसे केल्विन चक्र भी कहते हैं।

अंतः स्तर (Endothelium) : शरीर के कोटरो का अंतर बनाने वाला उत्तक, जैसे- रक्त तथा लिंग वाहिनियाँ।

अर्द्ध-स्वायत्त अंगक (Semi-autonomous Organelle) : माइटोकांड्रिया व क्लोरोप्लास्ट में स्वयं का DNA भी पाया जाता है जिसके फलस्वरुप यह अंगक केवल कुछ सीमा तक ही केन्द्रक के नियंत्रण में होते हैं। ऐसे अंगकों को अर्द्ध स्वायत्त अंगक कहते हैं।

अग्नाशय (Pancreas) : आमाशय तथा ड्युडेनम के मध्य स्थित एक ग्रंथि जो इंसुलिन व ग्लूकागोन नामक हार्मोन स्रावित करती है।

अवर्णी लवक (Leucoplast) : रंगहीन लवक, जो परतों में व्यवस्थित नहीं होते हैं। ये जड़ों या तनों के उन भागों में जो प्रकाश से दूर रहते हैं, पाये जाते हैं।

अ-सहसंयोजक बंध (Non-covalent bonds) : ऐसा बंध जिसमें इलेक्ट्रॉनों का साझा नहीं होता है।

अवशिष्ट काय (Residual Body) : द्वितीयक लाइसोसोम में यदि भोजन का पाचन पूर्ण न हो तो अवशिष्ट पदार्थ बचा रह जाता है। ऐसे लाइसोसोम को अवशिष्ट काय कहते हैं।

अवर्गीकृत लिपिड्स (Unclassified lipids) : इन वसाओं को वर्गीकरण में कोई निश्चित स्थान नहीं दिया जा सकता। उदाहरण- विटामिन‛ ई ’, विटामिन ‛के‘ ।

आधार काय (Basal body) : यह अन्तः कोशिकीय अंगक होते हैं जो कि सेंट्रियोल के समान सरंचना रखते हैं। इन्हें काइनेटोसोम भी कहते हैं।

आयनिक बंध (Ionic bond) : कुछ तत्वों के परमाणुओं में अपने कुछ इलेक्ट्रॉन त्यागने व कुछ तत्वों के परमाणुओं में कुछ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति होती है। इस प्रकार के जब दो परमाणु आपस में मिलकर अणु बनाते हैं तो वे एक वैद्युत् संयोजक बंध से बंधे रहते हैं। इसे आयनिक बंध भी कहते हैं।

इंसुलिन (Insulin) : अग्नाशयी हार्मोन जो कि अग्नाशय के β- आइलेट कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है। इंसुलिन रक्त में शर्करा को कम करता है। इसकी कमी से डायबिटीज मेलिटस रोग हो जाता है। यह कई पेप्टाइड श्रृंखला का बना होता है तथा इसका अणुभार लगभग 6000 होता है।

इलास्टिन (Elastin) : तंतुवत् प्रोटीन जो सुपाच्य नहीं होती है। यह ठंडे जल व ठंडे विलायक में अघुलनशील है।

उदासीन वसाएँ व तेल (Neutral fats and oils) : प्राकृतिक वसाएँ जो जल की अपेक्षा हल्की होती है। इनका आपेक्षिक गुरुत्व 0.86 होता है। द्रव वसाएँ तेल कहलाती है।

उत्प्रेरक (Catalyst) : रासायनिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित एवं प्रभावित करने वाले ऐसे पदार्थ जो स्वयं संपूर्ण रासायनिक प्रक्रिया के अंतर्गत अप्रभावित रहते हैं। इनका कार्य विशिष्ट होता है।

एक्सोसाइटोसिस (Exocytosis): अवशिष्ट पदार्थों को कोशिका से बाहर करने की प्रक्रिया।

एक्रोसोम (Acrosome) : स्पर्मेटोजेनेसिस के दौरान यह गॉल्जी कॉम्प्लेक्स द्वारा बनाया जाता है। यह शुक्राणु के शीर्ष पर पाया जाने वाला कण है, जो उसे अण्ड़ के साथ संलयन में सहायता देता है।

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic reticulum) : कोशिका में केंद्रक झिल्ली से कोशिका तक पाया जाने वाला नलिकाओं का एक जाल।

एल्बुमिन (Albumin) : यह एक सरल प्रोटीन है जो जल अपघटन के फलस्वरुप अमीनो अम्ल में अपघटित हो जाती है। इसका मुख्य स्रोत अंडा है।

एरगेस्टोप्लाज्म (Ergastoplasm) : कोशिका द्रव्य का हिस्सा जिसमें स्पष्ट रंजकीय गुण होते हैं, जो कुछ कोशिका पदार्थों के संश्लेषण में भाग ले सकते हैं।

एंडोप्लाज्म (Endoplasmic) : कोशिका द्रव्य का केंद्रीय भाग अथवा वह जीव द्रव्य के जो बाद में अन्तश्चर्म कोशिकाओं में स्थित होगा।

एंटीजन (Antigen) : वह पदार्थ जो रक्त में प्रविष्टि उपरांत प्रतिरक्षी पदार्थ का उत्पादन करता है।

एडिनीन (Adenine) : नाइट्रोजन क्षार/ DNA तथा RNA अणुओ में पाया जाने वाला एक प्यूरिन (एडिनीन तथा साइटसीन)।

एडिनोसीन डाईफॉस्फेट (ADP; Adenosine diphosphate) : समस्त जीवित कोशिकाओं की ऊर्जा अभिगमन प्रणाली से सम्बद्ध एक कार्बनिक यौगिक। इसमें दो PO4 ग्रुप होते हैं। तीसरे PO4 से संयोजित होने पर यह ATP में परिवर्तित होकर ऊर्जा को संचित कर लेता है जो आवश्यकता पड़ने पर सरलता से विघटित होकर po4 तथा ऊर्जा को स्वतंत्र कर देता है।

एमिनोलिपिड्स (Aminolipids) : वसाओं के अमीनो अम्ल के अणु से संयोग का परिणाम।

क्लोरोफिल का पोरफाइरिन सिर (Porphyrin head of chlorophyll) : क्लोरोफिल वसीय प्रोटीन की सतह पर इस तरह विन्यासित रहता है कि इसका सिर, जिसे ‛पोरफाइरिन’ भी कहते हैं, प्रोटीन अणुओं में धँसा रहता है। इसकी संरचना में मैग्नीशियम जो आयनिक रूप में होता है, चार पाइरोल रिंगो द्वारा घिरा रहता है।

क्वांटा (Quanta) : प्रकाश का उत्सर्जन व अवशोषण ऊर्जा पैकेट्स के रूप में होता है, इन्हें क्वांटा कहते हैं। ऐसे एक पैकेट को क्वांटम कहते हैं।

क्वांटासोंम (Quanta) : हरित लवक का वह सबसे छोटा खंड जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया में पूर्णतः समर्थ हो, क्वांटासोम कहलाता है। क्वांटासोम का अणुभार 96000 होता है। इसमें 80 क्लोरोफिल ‛ए’ अणु, 35 क्लोरोफिल ‛बी’ अणु, 25 कैरोटीन अणु 24 क्विनोन लिपिड व प्रोटीन अणु होते हैं।

कॉण्ड्रियोसोम (Chondriosome) : कण रूपी माइट्रोकॉण्ड्रिया।

कॉण्ड्रियोकोन्ट्स (Chondrioconts) : छड़ रूपी या धागे रूपी माइट्रोकॉण्ड्रिया ; इन्हें फिला या फिब्रिली भी कहा जाता है।

कॉण्ड्रियोस्फीयर (Chondrioconts) : कण रूपी माइट्रोकॉण्ड्रिया का गोलाकार समूह।

काइटिन (Chitin) : यह नाइट्रोजन युक्त पॉलीसैकेराइड है जो मुख्यतः कीटों तथा क्रस्टेशियन के बाह्य कंकाल में पाया जाता है।

काइनोसिलीया (Kynocilia) : गतिशील सीलिया।

कॉलेजन (Collagen) : तीन पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं की बनी प्रोटीन, जिसके प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड की श्रृंखला में अमीनो अम्लों के तीन भिन-भिन एकक होते हैं। यह सुपाच्य नहीं है।

किरेटिन (Keratin) : अपाच्य प्रोटीन जो त्वचा के बाहरी स्तरों, सींगो, खुरोंनाखूनों में पाई जाती है।

क्रिस्टी (Cristae) : माइट्रोकॉण्ड्रिया की दोहरी कला संहति वाली आंतरिक गुहा, आंतरिक कला के उभार।

किण्वन (Fermentation) : यीस्ट आदि में पाया जाने वाला ग्लूकोस का अनॉक्सीय अपघटन जिसके फलस्वरूप इथाइल ऐल्कोहॉल व कार्बन डाइऑक्साइड उत्पाद के रूप में निकलते हैं तथा ऊर्जा निर्मुक्त होती है।

किण्वभोज (Substrate) : वह पदार्थ जिस पर एंजाइम द्वारा अभिक्रिया होती है।

कीमोऑटोट्रॉफ्स (Chemo autotrophs) : ऐसे बैक्टीरिया जिनमें रंजक नहीं होते व न हीं ये प्रकाश संश्लेषण करते हैं फिर भी यह कार्बन डाइऑक्साइड को अंधेरे में ही कार्बनिक यौगिकों में अपचयित कर देते हैं। कुछ जीवाणुओं में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने का कार्य ‛नाइट्रेट’ करते हैं।

केंद्रक (Nucleus) : क्रोमेटिन युक्त तथा केन्द्रकावरण द्वारा परिसीमित कोशिका का भाग।

केन्द्रक रस (Nuclear sap) : केंद्रक में भरा रहने वाला द्रव जो प्रोफेज के समय गुणसूत्रों के आकुंचन करने पर उनमें से विलुप्त हो जाता है।

केन्द्रिका (Nucleolus) : केन्द्रक का एक अंगक जो समसूत्री विभाजन के समय लुप्त हो जाता है और गुणसूत्रों में वियोजित नहीं होता है, अपितु उनके विशेष खण्डों द्वारा बनाया जाता है।

केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm) : केन्द्र का अ-वर्णिक पदार्थ, केन्द्रक रस।

केरियोटाइप (Karyotype) : एक प्राणी और जाति के समस्त जंतुओं के शरीर-कोशिकाओं में गुणसूत्र समूह निश्चित होता है, इसे केरियोटाइप भी कहते हैं।

कोलीन (Choline) : जांतव फास्फोलिपिड्स, लेसीथिन का महत्वपूर्ण घटक।

क्रोमोमीयर्स (Chromomeres) : अर्धसूत्रण की प्रोफज प्रावस्था में दृष्टित होने वाली गहरी अभिरंजित सूक्ष्म कणिकाएं।

क्रोमोसेंटर्स (Chromocenters) : हेटेरोक्रोमेटिन के अनियमित समूह।

कोलॉइड (Colloid) : ऐसे पदार्थ जिनके कण 1mµ से 100 mµ (मिली माइक्रो) आकार के होते हैं।

कोशिकांग (Organelle) : कोशिका का रचनात्मक घटक जिसका विशिष्ट कार्य होता है।

कोशिकाद्रव्यी धानी प्रणाली (Cytoplasmic Vacuolar System) : कोशिका द्रव्यी पदार्थ में झिल्लियों की एक प्रणाली, जो यूनिट मेम्ब्रेन्स से परिसीमित नलिकाकार वेसिकल एवं सिस्टर्नी की एक प्रणाली है, जिसमें एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम, गोल्जी कांपलेक्स आदि सम्मिलित है।

क्रोमोप्रोटीन्स (Chromoproteins) : सरल प्रोटीन का किसी रंजक के साथ जुड़ने से बने प्रोटीन्स। उदाहरण- फ्लेवर प्रोटीन्स।

क्रोमोलिपिड्स (Chromolipids) : वसाओं के रंजक के साथ संयोजन से बनी जटिल वसाएँ। उदाहरण- कैरोटिनॉयड। 

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